
मुंबई , दूसरी तरफ , सिटी हॉस्पिटल में…
ईशान एमरजैंसी रूम के बाहर खड़ा एक टक नीचे की जमीन को घूरे जा रहा था । तभी इमरजेंसी वार्ड का दरवाजा खुला और डॉक्टर बाहर आए ।
डॉक्टर को देखते ही ईशान ने उनसे सवाल करते हुए पूछा , “डॉक्टर क्या हुआ ? मेरी मॉम ठीक तो है ना ?”
मगर उसके सवाल को इग्नोर करते हुए डॉक्टर वहां से चले गए ।
करीब आधे घंटे बाद , किसी के कदमों की आहट सुनकर ईशान ने अपना चेहरा उठा कर देखा तो वो दौड़ते हुए सीधा सिया के गले लग गया ।
उसने कस कर सिया को गले लगाते हुए कहा , “दी , मॉम ठीक तो हो जाएगी ना !!!” कहते हुए उसकी आवाज रूआसी हो चुकी थी ।
सिया ने उसे खुद से अलग करते हुए , उसका चेहरा हाथों में भरकर देखा तो उसकी आंखें लाल हो चुकी थी । जैसे वो अभी रो देगा । उसकी आंखों में हल्की-हल्की नमी भी आ चुकी थी ।
ये देख सिया ने शांत लहजे से कहा , “मॉम कैसी है ?”
उसके सवाल का जवाब देते हुए ईशान बोला , “पता नहीं , डॉक्टर कुछ बोल नहीं रहे हैं ।” कहते हुए वो सिया को गले लगाते हुए फूट-फूट कर रोने लगा ।
वही सिया के साथ खड़ा आदित्य , जो ईशान को सिया के इतने करीब देख , उसे अजीब सा महसूस हो रहा था । उसने अपने हाथों की मुट्ठियां बना ली थी । कि तभी ऑपरेशन रूम का दरवाजा खुला और डॉक्टर बाहर आए ।
उन्हें देखते ही ईशान और सिया दोनों दौड़कर उनके पास जाते हुए एक साथ बोले , “डॉक्टर , हमारी मॉम कैसी है ?”
उन दोनों के चेहरे को देखते हुए डॉक्टर ने उन दोनों को शांत करते हुए कहा , “एवरीथिंग इस अलराइट ! चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है , आपकी मोम की कंडीशन अभी स्टेबल है , मगर उन्हे तकलीफ नहीं होनी चाहिए , वरना उनकी हालत और भी खराब हो सकती है , और इस बार शायद हम उनकी जान न बचा पाए ।” बोलते हुए वो वहां से चले गए ।
ईशान वहां रखी हुई बेंच पर बैठ गया । सिया उसके पास जा पाती कि इससे पहले आदित्य ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा , “ठीक है तुम्हारी मॉम Flower , अब तुम्हें यहां से चलना चाहिए ।”
बोलते हुए वो सिया को वहां से ले जा पाता । इससे पहले ही सिया बोली , “मुझे रुकना है , उनके होश में तक ।” कहते हुए वो एक्सपेक्टेशन के साथ आदित्य को देखने लगी ।
आदित्य ने बिना कुछ कहे उसका हाथ छोड़ दिया और बाहर चला गया । उसको यूं जाते हुए देखकर सिया ने राहत की सांस ली ।
क्योंकि उसके यूं छोड़कर जाने का मतलब था कि , वो उसको यहां पर रहने की सिया दे रहा था । सिया ईशान के पास आकर बैठ गई ।
उसने ईशान से सवाल करते हुए पूछा , “तुम यहां कब आए ? तुम तो हॉस्टल में थे ना ?” बोलते हुए वो ईशान की तरफ ही देख रही थी ।
ईशान ने बिना अपना चेहरा उठाए ही कहा , “वो दिवाली वेकेशंस की वजह से मैं आज ही हॉस्टल से घर आने वाला था मगर..” बोलते बोलते वो चुप हो गया ।
सिया ने उसके माथे पर हाथ फेरते हुए कहा , “सब कुछ ठीक हो जाएगा ।”
सिया की बात सुन ईशान ने अपनी गर्दन हां में हिलाते हुए कहा , “हां दी ।” बोलकर उसने दीवार से टेक लगाते हुए अपनी आंखें बंद कर ली ।
तभी नर्स ने बाहर आते हुए कहा , “ये कुछ मेडिसिंस है , इन्हें आप लेकर आइए ।” कहते हुए उसने वो मेडिसिन की लिस्ट आदित्य की तरफ बढ़ा दी ।
आदित्य ने उस पेपर को जल्दी से लेते हुए सिया की तरफ देखकर कहा , “मैं आता हूं , दी !”
सिया ने अपनी गर्दन हां में हिलाई और आदित्य वहां से चला गया । ईशान के जाते ही सिया ने नर्स की तरफ देखते हुए कहा , “मेरी मोम हम कब तक ठीक हो जाएगी ?”
उसका ये सवाल सुन वो नर्स मुड़कर बोली , “आपकी मोम की हालत बहुत नाजुक है , इसलिए उन्हें ठीक होने में वक्त लग सकता है ।” कहते हुए वो वहां से चली गई ।
नर्स की बात सुन अब सिया के सब्र का बांध टूट गया और वो बेंच पर बैठते हुए रोने लगी । रोते हुए उसे कब नींद आ गई , उसे खुद ही पता नहीं चला ।
अगली सुबह जब सिया की नींद खुली तो उसने देखा कि , ईशान वहां पर बैठा हुआ था । वो ईशान के कंधे पर अपना सिर रखकर सो रही थी ।
उसने एकदम से हड़बड़ाते हुए पूछा , “मॉम कैसी है ?” बोलते हुए उसने ईशान की तरफ देखा तो वो भी सो ही रहा था । मगर सिया के बोलने पर उसकी नींद खुल गई ।
उसने अपनी आंखें खोलते हुए सिया से कहा , “वो ठीक है और रेस्ट कर रही है , कल जब मैं मेडिसिन लेकर आया तब आप सो चुकी थी , इसलिए मैंने आपको जगाना जरूरी नहीं समझा , अब आप उनसे मिल सकती है ।”
कहते हुए उसकी नजर उन दोनों के पास आ रहे आदित्य पर पड़ी । आदित्य ने उन दोनों को देखा , मगर कुछ भी नहीं कहा ।
उसे देख सिया उसकी तरफ देखते हुए बोली , “मैं मॉम से मिलकर आती हूं !!!”
कहते हुए वो जा ही रही थी कि , आदित्य ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा , “मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं ।”
बोलते हुए वो उसके हाथ पर अपनी पकड़ को ओर भी ज्यादा मजबूत बनाते हुए हॉस्पिटल रूम के अंदर जाने लगा । जहां पर सिया कि मॉम ‘वैदेही जी’ एडमिट थी ।
सिया ने उनकी तरफ देखा तो वो हॉस्पिटल के कपड़ों में थी । उनके माथे पर चोट आने की वजह से पट्टी बंधी हुई थी । जो खून की वजह से हल्की रेड हो चुकी थी और उनके एक हाथ में आईवी भी फिट थी ।
सिया ने उनके पास जाते हुए उनका हाथ पकड़ कर बोली , “मॉम..”
वो इतना ही बोल पाई थी कि , अचानक से वैदेही जी की नींद सिया की छुअन से खुल गई ।
उन्होंने जैसे ही सिया को अपने सामने देखा तो उसके हाथ से अपना हाथ झटक कर छुड़ाते हुए बोली , “मेरे पास मत आना ।”
उनकी बात सुन सिया दो कदम पीछे हो गई । क्योंकि वैदेही जी ने उससे अपना मुंह फेर लिया था ।
वो रोते हुए बोली , “मॉम , आपकी हालत ठीक नहीं है । अभी के लिए तो गुस्सा मत कीजिए ना !!”
बोलते हुए वो एक कदम भी उनके पास बढाती की , वैदेही जी ने उसकी तरफ देखते हुए चिल्ला कर कहा , “मैंने कहा , मुझसे दूर रहो ! तुम्हारा और मेरा कोई रिश्ता नहीं है ! ना तुम मेरी बेटी हो , ना मैं तुम्हारी मां हूं ! तुम बस एक अनाथ लड़की हो , जिसे मेरा पति एक अनाथ आश्रम से उठाकर लाया था ।”
बोलते हुए उनकी पूरी बॉडी कांपने लगी थी । उनके ऐसे चिल्लाने की वजह से ईशान दौड़कर कमरे में आ गया । उसने वैदेही जी की सारी बातें सुन ली थी ।
वो उनके पास आते हुए बोला , “मॉम , आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं ? हमने दी को अडॉप्ट किया है , वो हमारी अपनी ही है ।”
आदित्य की बात सुन वैदेही जी ने उसके ऊपर भी चिल्लाते हुए कहा , “नहीं है वो अपनी , अगर होती तो वो तुम्हारे पापा के खूनी से शादी नहीं करती , इसके पति ने मारा है तुम्हारे पापा को , ये खूनी है तुम्हारे पापा का ।”
बोलते हुए उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे और दोनों हाथों से उन्होंने अपना सर पकड़ लिया । इसके साथ ही उनके हाथों में लगी हुई आइवी निकल चुकी थी , और उनके हाथ से खून निकलने लगा ।
अपनी मॉम की ऐसी हालत देखकर सिया एक पल भी नहीं रुकी , और वहां से रोते हुए दौड़ कर बाहर चली गई । उसे बाहर जाते हुए देखकर आदित्य कुछ भी नहीं बोला । बस उसे देखता ही रह गया ।
वही आदित्य भी अब तक सिया के पीछे बाहर जा चुका था । बाहर आकर उसने सिया की तरफ देखा तो वो बेंच पर बैठी हुई , अपना सर पड़कर सुबक सुबक कर रो रही थी ।
उसको यूं रोते हुए देखकर आदित्य ने कहा , “गेटअप Flower ।” बोलकर वो चुप हो गया ।
उसकी बात सुन सिया अभी भी वैसे ही बैठी हुई थी । वो कुछ भी नहीं बोल रही थी । बस रोए जा रही थी ।
खुद को इग्नोर होता हुआ देखकर आदित्य ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा , “मैंने कहा , गेट अप Flower ।”
तभी रूम से ईशान के चिल्लाने की आवाज आई , “डॉक्टर..”
उसकी ऐसी आवाज सुन डॉक्टर , जो अभी उस तरफ ही आ रहे थे । वो दौड़कर वैदेही जी के रूम की तरफ चले गए । इधर आदित्य एक टक सिया को देखे जा रहा था ।
उन दोनों की शादी को 3 महीने हो चुके थे । मगर आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था की , सिया ने उसकी कोई बात इग्नोर की हो । मगर आज वो जैसे कुछ सुनने को ही तैयार नहीं थी ।
उसकी ऐसी हालत देख , आदित्य ने उसे बिना कुछ कहे गोद में उठा लिया और वैसे ही हॉस्पिटल से बाहर ले जाने लगा । सिया अभी भी रोए जा रही थी ।
उसने आदित्य के गले में अपनी बाहें डालते हुए अपनी पकड़ उस पर मजबूत कर दी । हॉस्पिटल के बाहर आते ही वो सिया को लेकर वैसे ही कार की पिछली सीट पर बैठ गया और ड्राइवर को देख बोला , “मेंशन की तरफ चलो ।”
कहते हुए वो सिया के सर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया । वो रोते हुए आदित्य की तरफ देखते हुए बोली , “वो मॉम है मेरी , ऐसा कैसे बोल सकती है कि , मैं उनकी बेटी नहीं हूं , और तुम ? तुमने पापा का..” बोलते हुए वो चुप हो गई ।
उसकी बात सुन आदित्य की पकड़ उस पर मजबूत हो चुकी थी । उसने चिल्लाते हुए कहा , “क्या मैं तुम्हें खूनी नजर आता हूं , Flower ?” कहते हुए उसकी आंखों में गुस्सा साफ-साफ झलक रहा था ।
सिया को घबराहट होने लगी थी । उसने अनजाने में ही सही , लेकिन कुछ ऐसा कर दिया था । जो उसे नहीं करना चाहिए था । तभी उसके कानों में फिर से आदित्य की आवाज पड़ी ।
वो इस बार दांत पीसते हुए गुस्से से एक-एक शब्द को चबाते हुए बोला , “मैंने कुछ पूछा है Flower ? और मुझे अपनी बात रिपीट करने की आदत नहीं है !” बोलते हुए वो सिया की तरफ ही देख रहा था ।
सिया ने डरते हुए उसकी तरफ देख कहा , “नहीं.. नहीं.. तुम खूनी नहीं हो ।” कहते हुए उसकी आवाज में डर साफ-साफ झलक रहा था । मगर आदित्य एकदम से चुप हो गया ।
सिया को समझ नहीं आया कि , क्या हुआ । लेकिन वो भी चुपचाप बैठ गई थोड़ी । थोड़ी देर बाद , जब कार मेंशन पहुंच गई , तब भी आदित्य ने सिया को अपनी गोद में उठाया हुआ था ।
सिया अपनी नज़रें झुकाए हुए ही बोली , “मैं अंदर जा सकती हूं , मुझे नीचे उतारो ।” कहते हुए उसने अपनी नज़रें नीचे झुका रखी थी ।
मगर आदित्य ने बिना उसकी तरफ देखे सीढ़ियां चढ़ते हुए , उसकी बात को इग्नोर कर आगे बढ़ रहा था । जब वो अपने कमरे की तरफ पहुंचा तो उसने लात मार कर कमरे का दरवाजा खोला , और सिया को जाकर बेड पर लिटा दिया ।
सिया ने अपनी नज़रें घूमाते हुए कमरे को देखा तो , कमरे की हालत बिलकुल ही खराब हो चुकी थी । जैसे यहां पर तूफान आया हो । तभी उसकी नजर एक जगह पर अटक गई और उसके मुंह से चीख निकल गई ।
To Be Continued…
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