
दिल्ली , AS मेंशन ।
सिया की चीख कमरे की दीवारों से टकराकर गूंज रही थी । उसकी नजर उस कोने पर अटकी थी , जहां टूटी हुई शीशे की मेज के पास कुछ कागज बिखरे पड़े थे । उन कागजों पर खून की छीटें थीं , और पास में ही एक टूटी हुई तस्वीर का फ्रेम पड़ा था , जिसमें सिया और वैदेही जी की एक पुरानी तस्वीर थी ।
वो तस्वीर जिसमें वो दोनों हंसते हुए एक-दूसरे को गले लगाए हुए थे , अब उसका शीशा चकनाचूर था , और तस्वीर के ऊपर खून की बूंदें थीं , जैसे किसी ने उसे जानबूझकर तोड़ा हो । सिया का दिल धक-धक करने लगा । उसकी सांसें तेज हो गई थीं , और वो बेड पर बैठी-बैठी कांप रही थी ।
आदित्य , जो अभी तक दरवाजे के पास खड़ा था , ने उसकी चीख सुनते ही तेजी से उसकी तरफ देखा । उसकी भौंहें तन गई थीं , और चेहरे पर एक अजीब सा गुस्सा और बेचैनी थी । वो तेज कदमों से सिया के पास आया और उसका कंधा पकड़ते हुए बोला , “क्या हुआ , Flower ? क्यों चीखी तुम ?” उसकी आवाज में गुस्सा कम और चिंता ज्यादा थी ।
सिया ने कांपते हुए उंगली उठाकर उस टूटे हुए फ्रेम की तरफ इशारा किया । “वो… वो तस्वीर… खून…” उसकी आवाज टूट रही थी । वो ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी । उसकी आंखें डर और हैरानी से भरी हुई थीं ।
आदित्य ने उसकी नजर का पीछा किया और उस टूटे हुए फ्रेम को देखा । एक पल के लिए उसका चेहरा सख्त हो गया , जैसे उसे कुछ याद आ गया हो । फिर उसने सिया की तरफ देखा और बिना कुछ कहे उस टूटे हुए फ्रेम की तरफ बढ़ा ।
उसने फ्रेम को उठाया और उसे उलट-पलट कर देखा । खून की बूंदें साफ दिख रही थीं , और तस्वीर का एक कोना जल चुका था । उसने फ्रेम को वापस उसी जगह पर रख दिया और सिया की तरफ मुड़ा ।
“ये… ये बस एक हादसा है , Flower. ज्यादा मत सोचो ,” उसने कहा , मगर उसकी आवाज में वो बात नहीं थी , जो आमतौर पर उसकी बातों में होती थी । सिया को उसकी बातों पर यकीन नहीं हुआ । उसने अपने घुटनों को सीने से सटाते हुए खुद को समेट लिया और बोली , “आदित्य , ये सब क्या है ? ये खून… ये तस्वीर… तुम कुछ छुपा रहे हो ना ?” उसकी आवाज में शक और डर दोनों थे ।
आदित्य ने एक गहरी सांस ली और सिया के पास आकर बेड पर बैठ गया । उसने सिया का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसकी आंखों में देखते हुए कहा , “मैं कुछ नहीं छुपा रहा , Flower.” उसकी आवाज अब हो कठोर चुकी थी , मगर उसकी आंखों में एक अजीब सी बेचैनी थी , जो सिया से छुप नहीं रही थी ।
सिया ने उसका हाथ हटाते हुए कहा , “तो फिर ये सब क्या है ? मॉम ने कहा कि… कि तुमने पापा को…” उसकी बात अधूरी रह गई । वो फिर से रोने लगी । आदित्य का चेहरा एकदम से सख्त हो गया ।
उसने अपनी मुट्ठियां भींच लीं और बेड से उठ खड़ा हुआ । “बस , Flower ! अब बहुत हो गया । मैंने तुम्हें पहले ही कहा था , मैं कोई खूनी नहीं हूं !” उसकी आवाज में गुस्सा था , मगर उसमें कहीं न कहीं दर्द भी छुपा था ।
सिया ने अपनी आंखें पोंछते हुए कहा , “तो फिर सच बताओ , आदित्य ! मॉम क्यों ऐसा बोल रही हैं ? और ये कमरा… ये तस्वीर… ये सब क्या है ?” उसकी आवाज में अब गुस्सा भी आने लगा था । वो अब और चुप नहीं रहना चाहती थी ।
आदित्य ने एक पल के लिए अपनी आंखें बंद कीं , जैसे खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा हो । फिर वो सिया के पास वापस आया और उसका हाथ पकड़ते हुए बोला , “ठीक है , Flower. मैं तुम्हें सब बताऊंगा । मगर अभी नहीं । अभी तुम्हारी मॉम की हालत ठीक नहीं है । तुम पहले खुद को संभालो ।”
सिया ने उसका हाथ झटकते हुए कहा , “नहीं , आदित्य ! मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती । मुझे अभी जानना है । तुमने ऐसा क्या किया कि मॉम तुम्हें पापा का खूनी बोल रही हैं ? और ये खून… ये तस्वीर… ये सब क्या है ?” उसकी आंखें अब आंसुओं से भरी थीं , मगर उसकी आवाज में एक अजीब सा जिद्दीपन था ।
आदित्य ने एक गहरी सांस ली और कमरे की खिड़की की तरफ बढ़ गया । उसने खिड़की खोली और बाहर की ठंडी हवा को अपने चेहरे पर महसूस किया । फिर वो मुड़ा और सिया की तरफ देखते हुए बोला , “ठीक है । तुम सच जानना चाहती हो ? तो सुनो ।” उसने एक पल रुककर सिया को देखा , जैसे सोच रहा हो कि कहां से शुरू करे ।
“तुम्हारे पापा… वो मेरे बिजनेस पार्टनर थे । हम दोनों ने मिलकर एक कंपनी शुरू की थी । सब कुछ ठीक चल रहा था , मगर फिर…” वो रुक गया । उसकी आवाज में एक अजीब सी भारीपन था । सिया ने उसकी तरफ देखा , उसकी आंखें सवालों से भरी थीं ।
“फिर क्या , आदित्य ?” सिया ने पूछा , उसकी आवाज अब धीमी हो चुकी थी ।
आदित्य ने अपनी नजरें नीचे की ओर कर लीं । “फिर कुछ गलतियां हुईं , Flower. कुछ ऐसी गलतियां जिनका खामियाजा तुम्हारे पापा को भुगतना पड़ा । मैंने कोई खून नहीं किया , मगर… मगर हां , मैं उस हादसे का हिस्सा था ।” उसकी आवाज अब टूट रही थी ।
सिया का दिल तेजी से धड़कने लगा । “कैसा हादसा ? तुम साफ-साफ क्यों नहीं बोल रहे ?” उसने चिल्लाते हुए कहा ।
आदित्य ने अब उसकी तरफ देखा । उसकी आंखें लाल हो चुकी थीं । “वो एक कार एक्सीडेंट था , Flower. तुम्हारे पापा उस रात मेरे साथ थे । हम एक डील फाइनल करने जा रहे थे । मगर रास्ते में… गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया । मैं बच गया , मगर वो…” वो चुप हो गया । उसकी आंखों में आंसू थे , मगर वो उन्हें बहने नहीं दे रहा था ।
सिया का चेहरा सफेद पड़ चुका था । वो बेड पर बैठी-बैठी कांप रही थी । “तो… तो तुमने कुछ नहीं किया ? मगर मॉम क्यों कह रही हैं कि तुमने…”
आदित्य ने उसे बीच में रोकते हुए कहा , “क्योंकि वो मुझे दोषी मानती हैं , Flower ! वो सोचती हैं कि अगर मैं उस रात तुम्हारे पापा को अपने साथ न ले जाता , तो वो आज जिंदा होते ।” उसकी आवाज में अब गुस्सा और दर्द दोनों थे ।
सिया कुछ देर तक चुप रही । उसका दिमाग अब उन सारी बातों को जोड़ने की कोशिश कर रहा था । वैदेही जी की बातें , आदित्य की बातें , और वो टूटी हुई तस्वीर… सब कुछ उसके दिमाग में घूम रहा था ।
तभी कमरे का दरवाजा जोर से खुला और ईशान अंदर आया । उसका चेहरा घबराया हुआ था । “दी ! मॉम… मॉम की हालत फिर से बिगड़ रही है !” उसकी आवाज में डर साफ झलक रहा था ।
सिया और आदित्य दोनों एकदम से उठ खड़े हुए । सिया ने बिना कुछ सोचे ईशान का हाथ पकड़ा और दौड़ते हुए कमरे से बाहर निकल गई । आदित्य भी उनके पीछे-पीछे भागा ।
हॉस्पिटल पहुंचते ही सिया और ईशान सीधा वैदेही जी के रूम की तरफ दौड़े । वहां पहुंचते ही उन्होंने देखा कि डॉक्टर और नर्स वैदेही जी को संभालने की कोशिश कर रहे थे । वैदेही जी की सांसें तेज चल रही थीं , और उनकी आंखें बंद थीं ।
सिया ने उनके पास जाकर उनका हाथ पकड़ लिया और रोते हुए बोली , “मॉम , प्लीज… प्लीज ठीक हो जाओ ।”
डॉक्टर ने सिया को पीछे हटाते हुए कहा , “प्लीज , बाहर इंतजार करें । हमें अपना काम करने दें ।”
सिया और ईशान को बाहर निकाल दिया गया । सिया दीवार से टेक लगाकर खड़ी हो गई । उसकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे । ईशान ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा , “दी , सब ठीक हो जाएगा । मॉम को कुछ नहीं होगा ।” मगर उसकी आवाज में भरोसा नहीं था ।
आदित्य , जो थोड़ी दूर खड़ा था , सिया को देख रहा था । उसने सिया के पास आकर धीरे से कहा , “Flower , तुम्हें अब घर चलना चाहिए ।”
सिया ने उसकी तरफ गुस्से से देखा । “मैं कहीं नहीं जा रही , आदित्य । मॉम ठीक होने तक मैं यहीं रहूंगी ।” उसकी आवाज में अब जिद थी ।
आदित्य ने कुछ नहीं कहा । वो बस चुपचाप वहां से हट गया और दीवार से टेक लगाकर खड़ा हो गया । करीब एक घंटे बाद डॉक्टर बाहर आए । उनके चेहरे पर थकान साफ दिख रही थी । सिया और ईशान दोनों दौड़कर उनके पास गए । “डॉक्टर , मॉम कैसी हैं ?” सिया ने कांपती आवाज में पूछा ।
डॉक्टर ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा , “हमने उनकी हालत को कंट्रोल कर लिया है , मगर अभी वो बहुत कमजोर हैं । अगले 24 घंटे बहुत जरूरी हैं । अगर वो इस दौरान स्टेबल रहती हैं , तो शायद वो खतरे से बाहर हो जाएंगी । मगर आपको ध्यान रखना होगा कि उन्हें किसी भी तरह का स्ट्रेस न हो ।”
सिया ने राहत की सांस ली , मगर उसका दिल अब भी भारी था । वो ईशान की तरफ मुड़ी और उसे गले लगाते हुए बोली , “सब ठीक हो जाएगा , ईशान ।”
ईशान ने भी उसे कसकर गले लगाया और बोला , “हां , दी । मॉम को कुछ नहीं होगा ।”
आदित्य , जो ये सब दूर से देख रहा था , ने अपनी मुट्ठियां भींच लीं । उसे सिया और ईशान की ये नजदीकी बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थी । मगर वो चुप रहा ।
अगले कुछ घंटे सिया और ईशान हॉस्पिटल में ही रहे । वैदेही जी अब होश में थीं , मगर वो अभी भी बहुत कमजोर थीं । सिया ने उनके पास जाकर उनका हाथ पकड़ा और धीरे से बोली , “मॉम , आप ठीक हो जाओ , प्लीज । मैं… मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं ।”
वैदेही जी ने सिया की तरफ देखा । “मेरे बच्चे…” वो इतना ही बोल पाईं और उनकी आंखें फिर से बंद हो गईं ।
सिया घबरा गई । उसने तुरंत नर्स को बुलाया । नर्स ने आकर वैदेही जी को चेक किया और बोली , “वो बस सो रही हैं । घबराने की कोई बात नहीं है ।”
सिया ने राहत की सांस ली । वो और ईशान बाहर आए । आदित्य अभी भी वही खड़ा था । उसने सिया की तरफ देखा और बोला , “Flower , अब तो चलो । तुम्हारी मॉम ठीक हैं ।”
सिया ने उसकी तरफ देखा और बोली , “मैं रुकूंगी , आदित्य । तुम चाहो तो घर जा सकते हो ।”
आदित्य ने उसकी बात सुनकर अपनी भौंहें तान लीं । “ठीक है , Flower. जैसी तुम्हारी मर्जी ।” बोलते हुए वो वहां से चला गया ।
सिया और ईशान रात भर हॉस्पिटल में रहे । अगली सुबह जब वैदेही जी की हालत में सुधार हुआ , तो सिया का दिल थोड़ा हल्का हुआ । मगर उसके दिमाग में अभी भी कई सवाल थे । आदित्य की बातें , वैदेही जी का गुस्सा , और वो सब कुछ उसे परेशान कर रहा था ।
वो सोच रही थी कि क्या सच है और क्या झूठ । क्या आदित्य वाकई में वैदेही जी के गुस्से का कारण था ? या फिर कुछ और था , जो अभी तक सामने नहीं आया था ।
To Be Continued…
I want comments… aap agar comment karenge to mujhe achha lagega kyonki me bahut mehnat se chepter likhti hu...
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