
दिल्ली , रात का वक्त ।
काशी का जवाब सुनकर , राघव ने उसकी तरफ देखा , मगर बिना कुछ कहे , निराशा के साथ वहां से मुड़कर जाने को हुआ । काशी उसे रोकने के लिए कुछ कहती , इस बात का अंदाजा होते ही उसने गुस्से से कहा , “ अगर तुम्हें पैसा ही चाहिए था , तो बोल देती । मैं तुम्हें तुम्हारे इस एक्स बॉयफ्रेंड से कई गुना ज्यादा पैसे… ”
राघव बोल ही रहा था कि उसके मुंह पर वेदांत ने मुक्का मारते हुए कहा , “ वो मेरी है , सिर्फ मेरी । उसके खिलाफ मैं एक शब्द भी नहीं सुनूंगा । ”
वेदांत की बात सुनकर , राघव , जिसके होंठ का कोना फट गया था , खून साफ करते हुए बोला , “ मैंने कब कहा किसी और की है ? मगर जो कलंक इसके दामन पर… ” राघव अपनी बात पूरी करने से पहले ही रुक गया क्योंकि वेदांत ने उसका कॉलर पकड़ लिया था । वह उसे दूसरा मुक्का मारने ही वाला था कि यह देख राघव चुप हो गया ।
राघव , जिसने ड्रिंक की हुई थी , नशे की वजह से हल्का-हल्का लड़खड़ा रहा था । तभी काशी , जो दूर खड़ी घबराहट की वजह से वेदांत और राघव को देख रही थी , जल्दी से वेदांत के पास जाकर , राघव को छुड़ाते हुए बोली , “ वेदांत मलकानी , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे होने वाले हसबैंड पर हाथ उठाने की ? जो था , वो हमारा बीता हुआ कल था । हमारा नहीं , मेरा बीता हुआ सबसे बुरा पास्ट था । मगर अब... अब मैं तुम्हारी वजह से अपना प्रेजेंट खराब नहीं होने दूंगी । ”
कहते हुए काशी ने सिसकते हुए अपने आंसू साफ किए ।
काशी के शब्द सुनकर , वेदांत को जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा , मगर राघव... उसने अपने चेहरे के भाव बदलते हुए , काशी के चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए कहा , “ तुम... तुम मेरी हो , ” और कहते हुए उसके मुंह से चीख निकल गई ।
वहीं , काशी कुछ समझ पाती इससे पहले , राघव सीधे घुटनों के बल जमीन पर बैठ चुका था , क्योंकि वेदांत ने उसे एक जोरदार लात उसके पेट में मारी थी ।
काशी अपनी आंसू भरी आंखों से राघव को देख रही थी । उसने दर्द भरी आवाज में चिल्लाते हुए कहा , “ वेदांत मलकानी , दूर रहो ! ”
काशी बोल ही रही थी कि उसकी बात को बीच में काटते हुए वेदांत ने कहा , “ मैंने कहा , तुम मेरी हो ! हमारी शादी हुई थी , और यह शादी तुमने मेरे साथ कोर्ट में पूरे होश-ओ-हवास के साथ की थी ! ” कहते हुए वेदांत ने काशी के आर्म्स को पकड़ लिया , और अपनी पकड़ मजबूत करते हुए आगे बोला , “ बीवी हो तुम मेरी , मेरे साथ तुम्हें चलना ही होगा , मर्जी से नहीं तो जबरदस्ती से ही सही । ” बोलते हुए उसने काशी को अपनी गोद में उठाया और कार की पैसेंजर सीट पर बैठा दिया ।
वहीं , ब्वेंकेट हॉल के अंदर अभी भी सब मस्ती कर रहे थे , जिस वजह से किसी को पता नहीं था कि बाहर क्या हो रहा है । सड़क पर घुटनों के बल , अपने पेट को पकड़कर बैठा हुआ राघव , खड़ा होते हुए अपनी कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ गया , तो ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर दी ।
दूसरी तरफ , कार में वेदांत काशी को अभी भी अपनी गोद में लिए बैठा था । काशी बार-बार उसकी गोद से उतरने की कोशिश कर रही थी , अपने हाथ-पांव मार रही थी , लेकिन वेदांत ने उसकी कमर में हाथ डालकर मजबूती से उसे पकड़ा हुआ था ।
वेदांत ने काशी के दोनों पैरों को अपने रूमाल से बांध दिया था , मगर उसके हाथ खुले छोड़े थे । फिर भी , काशी चाहकर भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थी । उसकी आंखों में आंसू , दर्द और तकलीफ साफ नजर आ रहे थे , लेकिन वेदांत... वो तो जैसे मूर्ति की तरह चुपचाप बैठा हुआ था ।
काशी बार-बार बोल रही थी , “ मुझे छोड़ दो , मुझे छोड़ दो ! ” आखिर में , वेदांत ने बिना उसकी तरफ देखे , उसके दोनों हाथों की कलाईयों को मजबूती से पकड़ते हुए कहा , “ छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है तुम्हारा हाथ । ”
वेदांत की बात सुनकर काशी ने सवालिया लहजे में कहा , “ पहले भी तो छोड़ा था ना ? क्यों आए हो 4 साल बाद वापिस ? आज भी छोड़ दो मुझे ! ” काशी बोल ही रही थी कि वेदांत ने अचानक उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर एग्रेसिव होकर उसे किस करने लगा । उसकी इस किस में जुनूनियत साफ झलक रही थी ।
यह दूसरी बार था जब वेदांत ने काशी की मर्जी जाने बिना , उसे फोर्सफुली किस किया था । वेदांत काशी से दूर होते हुए बोला , “ अगली बार से ये शब्द मुझे तुम्हारी ज़ुबान से नहीं सुनाई देने चाहिए , ” कहते हुए उसका लहजा बेहद सर्द था ।
एक पल के लिए तो काशी घबरा गई । उसने डरते हुए कुछ कहना चाहा , मगर वेदांत के चेहरे को देखकर वह चुप हो गई । कार में सन्नाटा छा चुका था । काशी ने अपनी आंखें बंद कर लीं , और उसकी एक आंख से आंसू कतरा बनकर बह गया ।
वेदांत को अपनी शर्ट पर गीलापन महसूस होते ही उसने नज़रें नीची कीं , तो देखा कि काशी की बंद आंखों से आंसू बह रहे थे । उसने उसकी आंखों से बहते आंसू पोंछते हुए कहा , “ मुझे तुम्हारी आंखों में आंसू बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं , इसीलिए रोना बंद करो । ”
वेदांत की कठोर आवाज़ सुनकर काशी ने गुस्से में अपनी आंखें खोल दीं । उसकी आंखों में आंखें डालते हुए , काशी ने वेदांत का कॉलर पकड़कर कहा , “ समझते क्या हो मुझे ? पहले प्यार का नाटक करते हो , फिर छोड़कर चले जाते हो , और अब एक नया धोखा क्यों दे रहे हो मुझे ? ”
काशी की बात सुनते ही वेदांत की आंखें और भी गहरी हो गईं । जो अब तक कार की खिड़की से बाहर देख रहा था , उसने काशी की तरफ देखा और बोला , “ धोखा मैं नहीं , तुम मुझे दे रही हो । मेरे होते हुए किसी और के साथ शादी करने जा रही थी ! ” कहते हुए उसने काशी को घूरकर देखा तो डर और घबराहट की वजह से , उसके हाथ अपने आप वेदांत के कॉलर से फिसलकर नीचे आ गए ।
काशी ने बिना वेदांत की तरफ देखे , खुद से मन ही मन कहा , “ तो फिर जो 4 साल पहले तुमने… ” कहते हुए उसके शब्द वहीं अटक गए ।
मलकानी मेंशन...
कार जब तक मलकानी मेंशन पहुंची , काशी और वेदांत दोनों में से कोई कुछ भी नहीं बोल रहा था । कार के रुकते ही , वेदांत ने काशी का हाथ पकड़ा और खींचते हुए उसे अपने साथ ले जाने लगा ।
काशी ने कहा , “ छोड़ो मेरा हाथ , मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना , ” कहते हुए वह वेदांत की मजबूत पकड़ से अपना नाज़ुक सा हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी । मगर वेदांत था कि उसका हाथ छोड़ने को तैयार ही नहीं था ।
काशी फिर से बोली, मगर इस बार उसकी आवाज़ में दर्द था , शायद वो रोने लगी थी । “ छोड़ दो मेरा हाथ... प्लीज़, छोड़ दो । मैं यहाँ से बहुत दूर चली जाऊँगी , कभी तुम्हारे सामने नहीं आऊँगी । पर मुझे छोड़ दो... प्लीज़ छोड़ दो । ”
काशी के ये शब्द सुन , वेदांत के कदम वहीं ठहर गए , मगर उसका चेहरा अभी भी एक्सप्रेशनलेस था । वह मुड़ा और उसने काशी के चेहरे की तरफ एक नज़र देखा , फिर झटके से उसे अपनी गोद में उठा लिया ।
काशी एक पल के लिए तो वेदांत को देखती ही रह गई , मगर उसने अपने दिमाग में आए ख्यालों को झटकते हुए हाथ-पैर चलाने लगी । वेदांत ने एक सर्द नजर काशी की ओर डाली । ना जाने वेदांत की उन आंखों में काशी ने ऐसा क्या देख लिया कि वह एकदम शांत पड़ गई ।
कुछ देर बाद , वेदांत किंग साइज बेड पर बैठा हुआ था , और काशी उसकी गोद में थी । वेदांत ने काशी की ओर देखते हुए , उसके चेहरे पर अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा , “ तुम मेरी हो , सिर्फ मेरी । You are mine , काशी , you are mine ! ”
वेदांत ये बोल ही रहा था कि काशी उसकी गोद से उतर कर उसके सामने खड़ी हो गई । वह कुछ बोलने ही वाली थी कि वेदांत ने उसे अपने करीब खींचते हुए कहा , “ श्श्श... कितना बोलती हो तुम । ”
वेदांत के ये कहने के बाद भी काशी कुछ बोलने ही वाली थी , कि उसने उसका चेहरा अपने हाथों में भर लिया और अपने चेहरे को उसके करीब ले जाते हुए कहा , “ मर्जी से नहीं , तो जबरदस्ती से ही सही , तुम्हें मेरे पास , मेरे साथ ही रहना होगा । ” कहते हुए , दोनो के होंठ आपस में टच हो रहे थे ।
अगली सुबह...
काशी की जब आंख खुली, तो उसने देखा कि कमरे में कोई नहीं था । यह देख कर उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स थोड़े अजीब हो गए । तभी अचानक उसका फोन बजने लगा । काशी ने एक नजर फोन की तरफ डाली तो देखा , कॉल उसकी न्यूज एजेंसी से आ रही थी ।
उसने जल्दी से कॉल उठाते हुए कहा , “ हैलो ! ”
दूसरी तरफ से किसी की सख्त आवाज़ उसके कानों में गूंजी , “ काशी , तुम्हें अपनी जॉब प्यारी नहीं है क्या ? टाइम देखो ! तुम्हें जल्दी आने को कहा गया था , फिर भी तुम लेट हो ! आधे घंटे में एजेंसी पहुंचो ! ”
काशी ने हड़बड़ाई हुई आवाज़ में कहा , “ ओके मैम ! ” और तुरंत कॉल काट दी। वो बेड से उठ ही रही थी , तभी उसे एहसास हुआ कि यह तो उसका कमरा है ही नहीं !
अपने सिर पर हाथ रखते हुए , वो फिर से बेड पर बैठ गई । तभी एक बार फिर उसका फोन बजा , लेकिन इस बार कॉल रिंगटोन की जगह मैसेज नोटिफिकेशन की आवाज़ थी ।
काशी ने फोन चेक किया और देखा कि किसी अननोन नंबर से मैसेज आया हुआ था । लेकिन लास्ट के वो तीन डिजिट्स वो आज भी अच्छे से पहचानती थी - ये नंबर किसके हो सकते हैं , ये उसे बखूबी पता था ।
पहले तो काशी के चेहरे पर गुस्से भरे एक्सप्रेशंस आ गए , मगर फिर उसने मैसेज बॉक्स ओपन करके देखा । मैसेज पढ़ते ही , वह गुस्से में बोली , “ मेरा सारा सामान फ्लैट से यहां शिफ्ट कर दिया ? वो भी मुझसे पूछे बिना ? तुम मेरी कमजोरी का फायदा उठा रहे हो , मगर जैसा तुम चाहते हो , वैसा हरगिज़ नहीं होने दूंगी ! ” यह कहते हुए वह बेड से उठकर खड़ी हो गई ।
दिल्ली , G. P. T. न्यूज एजंसी ( ग्लोबल प्राइम टाइम )
यह दिल्ली की सबसे मशहूर और जानी-मानी न्यूज एजंसी में से एक थी । जो की टॉप 5 न्यूज एजंसी की लिस्ट में आती थी और फिलहाल , एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के स्कैंडल के चलते , यह एजंसी हाल ही में मशहूर हो गई थी ।
कुछ देर बाद , काशी रेडी होकर न्यूज़ एजेंसी पहुंच चुकी थी । जैसे ही वह अंदर एंटर हुई , एक औरत उस पर भड़कते हुए बोली , “ तुम्हारी वजह से बॉस गुस्से में हैं ! उन्होंने कहा है की , जैसे ही तुम ऑफिस आओ , सीधे उन्हे उनके केबिन में मिलो । ”
उस औरत की बात सुनकर , काशी ने धीरे से कहा , “ सॉरी , रिचा मैम । मैं अभी बॉस से माफी मांग कर आती हूं , ” कहते हुए वह केबिन की तरफ चली गई । वहीं बाकी मेंबर्स उसकी देख रहे थे ।
केबिन के बाहर पहुंचते ही उसने डोर नोक किया । अंदर बैठे शक्श ने रौबदार आवाज में कहा , “ कम इन ! ”
काशी घबराती हुई केबिन के अंदर आ गई । उसने नजरे उठाकर देखा तो , एक हेंडसम सा नौजवान , ceo की कुर्सी पर बैठा हुआ था ।
काशी ने माफी मांगने के अंदाज से कहा , “ आई एम सॉरी सर ! ”
सामने बैठे शक्श ने अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा , “ में तुम्हे माफ करने के लिए तैयार हूं , मगर एक शर्त है !!! ”
To Be Continued…
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