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3. New Colleague / Ye Mera Hak Hai

दिल्ली , GPTNE (ग्लोबल प्राइम टाइम न्यूज एजेंसी)

काशी ने ये सवालिया हाल में पूछा , “ ये कैसी शर्त ? ”

काशी का सवाल सुनकर उसका बॉस , जो सीईओ की कुर्सी पर बैठा हुआ था , एकदम शांत होकर उसकी तरफ देखने लगा । तभी कोई केबिन के अंदर आ गया । काशी की नज़रें , ना चाहते हुए भी , उस तरफ चली गईं ।

वहां वही औरत खड़ी थी , जिसने अभी-अभी उसे केबिन में आने को कहा था , और उनके साथ एक लड़की थी , जो एटीट्यूड से काशी को घूर रही थी ।

कुर्सी पर बैठे शख्स ने बड़े ही शांत लहजे में कहा , “ जो न्यूज तुम आज पब्लिश करने वाली हो , वो सिया को दे दो , ” जैसे ये कहना उसके लिए कोई बड़ी बात न हो , और सच में , उसके लिए बड़ी बात थी भी नहीं ।

काशी हैरानी से बोली , “ लेकिन सर , वो न्यूज… ” वह अभी बोल ही रही थी कि , वह शख्स फिर से बोला , “ जितना कहा है , उतना करो और आज से सिया तुम्हारी कलीग नहीं है । तुम्हारी नई कलीग तुम्हारे केबिन में है । अब तुम जा सकती हो । ”

उसके बॉस की बात सुनकर काशी को अब समझ आ रहा था कि , उन्होंने उससे ऐसा क्यों कहा था कि , उसे माफ किया जाएगा , मगर एक शर्त पर । उसने अपने बॉस की तरफ देखा और सर जुकाते हुए केबिन से बाहर चली गई। अब उसके चेहरे पर एक सेटिस्फेक्शन था ।

काशी के केबिन से बाहर जाते ही वह औरत उस शख्स से बोली , “ ये तुमने बहुत अच्छा किया , विराज !!! ” कहते हुए वह केबिन से अपनी साइड में खड़ी लड़की , यानी सिया , की तरफ अपनी आई विंक करते हुए चली गई ।

सिया ने विराज की तरफ जाते हुए , उसके डेस्क पर पड़े पेपरवेट को घुमाते हुए कहा , “ तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है ? ”

सिया के इस सवाल पर विराज ने तिरछी मुस्कान के साथ कहा , “ वही जो तुम्हारे दिमाग में चलता है , ” कहते हुए उसने सिया की कमर को होल्ड किया और अपनी तरफ खींचते हुए किस करने लगा । सिया भी अपने हाथों को उसके बालों में उलझाते हुए उसे किस बैक करने लगी।

दूसरी तरफ , मलकानी कॉर्पोरेशन…

वेदांत अपने केबिन में बैठा हुआ मेल्स चेक कर रहा था , तभी अचानक किसी ने बिना नॉक किए दरवाज़ा खोला और अंदर आ गया । उसे नॉक करने की आदत नहीं थी , और इस बात से वेदांत को भी कभी कोई परेशानी नहीं हुई थी ।

वह लड़का , अपने हाथ में एक फाइल लिए हुए , सीधे वेदांत के सामने आया और बोला , “ बॉस , इसमें वो सारी इनफॉरमेशन है जो आपने कलेक्ट करने के लिए बोली थी । ” ये कहते हुए उसने फाइल वेदांत के डेस्क पर रखी और बिना कुछ और कहे वापस मुड़कर चला गया ।

उसके जाते ही , वेदांत ने अपना लैपटॉप बंद किया और एक नजर उस फाइल पर डाली । फाइल को हाथ में लेते हुए , वह धीमे से बुदबुदाया , “ आखिर मेरे जाने के बाद हुआ क्या था ? ” कहते हुए उसने फाइल को ओपन किया । जैसे-जैसे वह फाइल में लिखी इनफॉरमेशन पढ़ने लगा , उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस तेजी से बदलने लगे ।

करीब 10 मिनट में उसने पूरी फाइल पढ़ ली थी , लेकिन उसके चेहरे के भावों से ये अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है । अपनी मुठ्ठियाँ कसते हुए , वह गुस्से में बुदबुदाया , “ मिस्टर अर्जुन रायचंद , ये आपने बिल्कुल भी ठीक नहीं किया ! ”

यहां एजेंसी में काशी अपने केबिन में बैठी हुई थी , और उसके साथ एक लड़की बैठी थी , जो कि उसकी नई कलीग थी । काशी ने उसे सवाल करते हुए पूछा , “ तुम्हारा नाम क्या है ? ”

उसके सामने बैठी लड़की ने मुस्कुरा कर अपना हाथ आगे करते हुए कहा , “ सायली , और तुम्हारा ? ”

सायली का सवाल सुनकर काशी मुस्कुराते हुए बोली , “ काशी , मेरा नाम काशी है । ”

सायली ने फिर एक बार पूछा , “ आप इस न्यूज़ एजेंसी में कितने वक्त से काम कर रही हैं ? ”

काशी ने पोलाइटली जवाब देते हुए कहा , “ करीब 2 साल से । ” फिर दोनों बातें करते हुए अपने-अपने काम में लग गईं । काम करते-करते दोनों को पता ही नहीं चला कि कब शाम हो गई ।

काशी अपना बैकपैक करते हुए मुस्कुरा कर बोली , “ नाइस टू मीट यू । तुम्हारे साथ काम करना अच्छा लगा । चलो चलते हैं । ”

काशी की बात सुनकर सायली भी मुस्कुरा कर बोली , “ हां , बस एक मिनट , ” कहते हुए उसने अपने हैंडबैग की जिप बंद की और काशी के साथ केबिन से बाहर चली गई ।

काशी न्यूज़ एजेंसी के बाहर आई थी कि उसके फोन में एक मैसेज आने की नोटिफिकेशन सुनाई दी । उसने चलते हुए एक नजर अपने फोन पर देखा तो लास्ट के 3 डिजिट्स देखकर वह पहचान गई कि यह किसका नंबर है । उसने अभी तक इस नंबर को सेव नहीं किया था ।

जब उसने मैसेज को पढ़ा , तो वहां पर लिखा हुआ था , “ आई एम वेटिंग फॉर यू । ”

काशी ने खुद से मन में कहा , “ यह मेरा इंतज़ार क्यों कर रहा है , ” बोलते हुए उसकी नजर एक आलीशान कार पर चली गई ।

वह ब्लैक कलर की अलीशान कार देखने से ही काफी महंगी नजर आ रही थी । उसके साथ चल रही सायली ने एक नजर काशी की तरफ देखा और कहा , “ मैं चलती हूं , बाय , ” कहते हुए वह चली गई ।

काशी अभी भी कार को देख ही रही थी कि फिर से उसके मोबाइल में एक और मैसेज आया । “ कार को मत देखो , कार के अंदर वाले को देखना है तुम्हें , ” और अपनी बात आधी छोड़ते हुए यह मैसेज और किसी ने नहीं , वेदांत ने ही लिखा था ।

काशी अभी भी वहीं अपनी जगह पर खड़ी थी कि फिर से उसका मोबाइल नोटिफिकेशन की आवाज़ से बजा । “ तुम कार के अंदर आ रही हो या मैं तुम्हें बाहर लेने आऊँ । ” कहते हुए उसने मैसेज के आखिर में क्वेश्चन मार्क (?) छोड़ा हुआ था ।

काशी को वेदांत पर बहुत ही ज़्यादा गुस्सा आ रहा था । वो जैसे-जैसे मैसेज कर रही थी , उसका गुस्सा बढ़ रहा था , मगर वो रिप्लाई में कुछ भी नहीं लिख रही थी । उसने एक नज़र इधर-उधर देखा और फिर कार की तरफ बढ़ गई । ये देखकर अंदर बैठे वेदांत के चेहरे पर मुस्कान आ गई ।

काशी ने चुपचाप कार का दरवाज़ा खोला और पैसेंजर सीट पर बैठ गई । उसने एक नज़र भी वेदांत की तरफ नहीं देखा । वो ड्राइवर , जो ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ था , उसने एक बटन प्रेस करके उसके और पैसेंजर सीट के बीच का पार्टीशन ऑन कर दिया ।

ड्राइवर ने जैसे ही ये किया , वेदांत ने काशी को खींचकर अपनी गोद में बिठाते हुए धीरे से अपना चेहरा उसके कान के पास ले जाकर कहा , “ आई मिस यू सो मच । ” कहते हुए उसने काशी के इयरलॉब पर बाइट कर लिया ।

काशी वेदांत की इस हरकत के लिए तैयार नहीं थी , इसलिए उसकी बॉडी के अंदर एक करंट सा दौड़ गया । ये महसूस करते ही वेदांत ने काशी की शर्ट में अपना हाथ डालते हुए उसकी कमर पर सेंश्युअल तरीके से उंगलियाँ चलानी शुरू कर दीं , और काशी की आँखें अपने आप बंद हो गईं ।

उसकी साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं । वो चाह कर भी अपनी धड़कनों को काबू नहीं कर पा रही थी । लेकिन वेदांत को तो जैसे काशी की हालत देखकर मज़ा आ रहा था । वो आज उसे परेशान करने के फुल मूड में नज़र आ रहा था , और काशी एक पल के लिए तो जैसे सब कुछ भूल ही चुकी थी । तभी अचानक उसके मुँह से हल्की सी आह निकल गई ।

उसी के साथ वो होश में आई और उसने गुस्से से कहा , “ ये तुम क्या कर रहे हो ? ”

वेदांत ने बेफिक्रे से कहा, “ प्यार... अपनी बीवी को प्यार कर रहा हूँ , ” कहते हुए वो फिर से अपना चेहरा काशी की गर्दन पर झुकाने लगा । पर इससे पहले कि वेदांत कुछ और कर पाता , काशी ने दूर होते हुए उसकी तरफ बिना देखे ही कहा , “ मगर तुम्हारे प्यार की वजह से मुझे हमेशा ही दर्द मिलता है । नहीं चाहिए मुझे ऐसा प्यार जिसमें मुझे ये दर्द मिले , ” कहते हुए वो अपना चेहरा फेर कर बैठ गई ।

वेदांत ने काशी की बात को अनसुना करते हुए उसे सीट पर धक्का दे दिया और उसके ऊपर आते हुए चेहरे के क़रीब जाकर बोला , “ मैं तुम्हारा पति हूँ , और ये मेरा हक है । ” कहते हुए उसके होंठ काशी के होंठों को छू रहे थे । उन दोनों के बीच एक इंच का भी फासला नहीं था ।

काशी को जैसे ही लगा कि वेदांत उसे किस करने वाला है , उसने अपनी आँखें बंद कर लीं । वेदांत ने अपना चेहरा झुकाते हुए उसकी गर्दन पर अपने होंठ रखे , जहाँ उसने अभी-अभी उसे लव बाइट दी थी । वो प्यार से उस जगह पर किस कर रहा था ।

काशी की हल्की-हल्की सिसकियाँ निकल रही थीं , मगर वो अपनी आवाज़ों को कंट्रोल करने के लिए अपने निचले होंठ को बाइट कर रही थी ताकि उसके मुँह से आवाज़ न निकले । वेदांत ने अपना चेहरा ऊपर उठाकर काशी की तरफ देखा , तो वो अपने निचले होंठ को बाइट कर रही थी ।

काशी का ये रिएक्शन देख वेदांत का गला सूखने लगा था , मगर वो काशी के ऊपर से उठकर साइड में बैठ गया । उसके मुँह से अब एक भी शब्द नहीं निकल रहा था , वहीं काशी अपनी बेकाबू साँसों और धड़कनों को संभालने की कोशिश कर रही थी ।

कुछ देर बाद कार मलकानी मेंशन आकर रुकी । वेदांत , बिना काशी की तरफ देखे , कार से बाहर निकल गया । ये देख काशी खुद से मन ही मन बोली , “ आखिर इसके दिमाग में चलता क्या है ? कभी पास आता है , तो कभी दूर जाता है । और अब तो ऐसे बर्ताव कर रहा है , जैसे मैं इसकी हूँ ही कौन ! ”

काशी मन ही मन खुद से बातें कर रही थी , तभी उसके साइड का दरवाज़ा खुला और उसके कानों में वेदांत की आवाज़ पड़ी , “ क्या यहीं रहने का इरादा है ? ” कहते हुए वह मेंशन की तरफ चला गया तो काशी भी उसके पीछे-पीछे मेंशन के अंदर चली गई , क्योंकि अब उसके पास यहाँ से जाने का कोई रास्ता भी तो नहीं था ।

रात का वक्त…

वेदांत मेंशन आते ही सीधे स्टडी रूम की तरफ चला गया था , और काशी उसके कमरे में , क्योंकि उसका सारा सामान जो फ्लैट से मेंशन में शिफ्ट करवाया गया था , अब इसी रूम में था , जिसका साफ मतलब था कि काशी और वेदांत एक ही रूम में रहेंगे ।

वेदांत स्टडी रूम से चलता हुआ अपने कमरे की तरफ आया , तो काशी वहां पर नहीं थी । यह देख उसकी आंखें छोटी हो गईं , तभी उसके दिमाग में कुछ आया और वह अपने कमरे से अटैच छोटे से ड्रॉइंग रूम में आ गया । उसने देखा कि काशी इत्मीनान से पेंटिंग बना रही थी ।

करीब 1 घंटे बाद उसने ठंडी आह भरते हुए कहा , “ फाइनली मेरी पेंटिंग बन गई ! ” कहते हुए वह जैसे ही मुड़ी , उसकी नजर वेदांत पर पड़ी और एकदम से उसके मुंह से निकल गया , “ ऐसे क्या देख रहे हो ? ”

वेदांत ने दरवाजे पर टेक लगाए मुस्कुराहट के साथ उसी अंदाज में कहा , “ देख रहा हूं , ये साड़ी , झुमके , कंगन… उप्स सॉरी, तुम्हारी पतली कमर, गोरी पीठ, खूबसूरत गर्दन और.... ”

काशी झट से बोली , “ और ? और क्या ? ”

काशी के एक्सप्रेशन देख , वेदांत ने उसे अपने करीब खींच कर गर्दन पर किस करते हुए कहा , “और तुम मेरी हो , सिर्फ मेरी । ”

वेदांत ये बोल ही रहा था कि उसका फोन बजने लगा । उसी वक्त उसने काशी को छोड़ा और ड्रॉइंग रूम से बाहर चला गया । काशी , जो अपनी जगह पर थी , बस वेदांत को देखती ही रह गई ।

To Be Continued…

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