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4. Door Ho Jao Mujhse

दिल्ली , मलकानी मेंशन ।

करीब 1 घंटे बाद उसने ठंडी आह भरते हुए कहा , “ फाइनली मेरी पेंटिंग बन गई ! ” कहते हुए वह जैसे ही मुड़ी , उसकी नजर वेदांत पर पड़ी और एकदम से उसके मुंह से निकल गया , “ ऐसे क्या देख रहे हो ? ”

वेदांत ने दरवाजे पर टेक लगाए मुस्कुराहट के साथ उसी अंदाज में कहा , “ देख रहा हूं , ये साड़ी , झुमके , कंगन… उप्स सॉरी, तुम्हारी पतली कमर, गोरी पीठ, खूबसूरत गर्दन और.... ”

काशी झट से बोली , “ और ? और क्या ? ”

काशी के एक्सप्रेशन देख , वेदांत ने उसे अपने करीब खींच कर गर्दन पर किस करते हुए कहा , “ और तुम मेरी हो , सिर्फ मेरी । ”

वेदांत ये बोल ही रहा था कि उसका फोन बजने लगा । उसी वक्त उसने काशी को छोड़ा और ड्रॉइंग रूम से बाहर चला गया । काशी , जो अपनी जगह पर खड़ी थी , बस वेदांत को देखती रह गई ।

कुछ देर बाद जब वेदांत रूम में लौटा , उसने देखा कि काशी बेड पर बैठी हुई अपने मोबाइल को देख रही थी । ये देख , वेदांत उसकी ओर बढ़ने लगा । काशी को जैसे ही इसका एहसास हुआ , उसने एक नजर वेदांत की ओर देखा , मगर फिर तुरंत अपना चेहरा फेर लिया ।

वेदांत , काशी के बेहद करीब जाते हुए , उसकी ठोड़ी पकड़कर उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए सीरियस लहजे में बोला , “ मुझे देखकर भी अनदेखा क्यों कर रही हो ? मेरे करीब क्यों नहीं आना चाहती ? हर बार जब मैं तुम्हारे करीब आता हूँ , तुम दूर क्यों चली जाती हो , जैसे मुझमें कांटे लगे हों । तुम तो मुझसे प्यार… ”

वो ये बोल ही रहा था कि काशी ने उसकी बात बीच में काटते हुए तंज भरे लहजे में कहा , “ प्यार... और मुझसे ? हां , मैं तुमसे करती थी , मगर 'करती थी' और 'करती हूं' में फर्क होता है , मिस्टर वेदांत मलकानी । तुम्हारी वजह से मैं बर्बाद हो गई , पूरी तरह से बर्बाद । और तुम चाहते हो कि मैं तुमसे प्यार करूं ? ” कहते-कहते उसकी आंखों में नमी भर चुकी थी ।

वेदांत ने उसी लहजे में कहा , “ चार साल पहले जब मैं गया था… ”

वेदांत अभी भी बोल ही रहा था कि काशी ने फिर से उसकी बात को बीच में काटते हुए कहा , “ नहीं , वेदांत मलकानी , तुम गए नहीं थे... तुम मुझे छोड़कर गए थे , मुझे बर्बाद करके गए थे । चार साल पहले तुमने मुझे बर्बाद किया था । अगर तुम सिर्फ गए होते , तो शायद आज हालात कुछ और होते । शायद मैं अब भी तुमसे प्यार कर रही होती । मगर आज... मुझे तुमसे प्यार नहीं है । प्यार तो छोड़ो , मुझे तुमसे घिन आ रही है । दूर हो जाओ मुझसे । तुम्हारी छुअन से मुझे खुद से नफरत हो रही है , ” कहते हुए उसकी आंखों की नमी गालों पर लुढ़क चुकी थी ।

वेदांत ने तुरंत काशी से दो कदम दूर जाते हुए कहा , “ तो फिर थोड़ी देर पहले ड्रॉइंग रूम में... ? ”

काशी इस बार चिल्लाते हुए बोली , “ भूल गई थी कि तुम वही वेदांत मलकानी हो , जिसने मुझे बर्बाद किया है , जिसने सबके सामने मुझे बेइज्जत किया है कि मैंने तुम्हारे साथ रात बिताई थी ! ” कहते हुए वो खुद में ही सिमटती जा रही थी ।

काशी की बात सुनकर , वेदांत ने बेहद सख्त लहजे में कहा , “ क्या तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे दामन पर ये दाग लगा सकता हूँ ? जबकि आज नहीं , मगर उस वक्त... उस वक्त का तो तुम्हें अच्छे से पता है कि तुम मेरे लिए क्या थी , ” कहते हुए उसकी आंखों में सच्चाई नजर आ रही थी ।

काशी उसकी तरफ अपनी आंसू भरी आंखों से देख रही थी , तभी वेदांत अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला , “ चार साल पहले जो हुआ , मेरे जाने के बाद हुआ । तो तुम कैसे कह सकती हो कि वो सब मैंने किया , जबकि मुझे तो खुद नहीं पता था कि मेरे जाने के बाद क्या हुआ । लेकिन अगर तुम्हें मेरी छुअन से इतनी ही घिन आती है और मुझसे इतनी नफरत है , तो तुम्हें छूना तो दूर की बात है , मैं तुम्हें नजर उठाकर भी नहीं देखूंगा । ” कहते हुए वो बिना काशी की तरफ देखे , कमरे से बाहर चला गया ।

वेदांत के जाते ही, काशी ने साइड में पड़े तकिए को उठाया और उसे गले लगाकर सिसक-सिसक कर रोने लगी । उसकी आंखों से आंसू पानी की तरह बह रहे थे । रोते-रोते कब उसकी आंख लग गई , उसे खुद ही पता नहीं चला , और वो नींद की आगोश में चली गई ।

अगली सुबह जब काशी की आंख खुली , तो उसके सिर में तेज दर्द हो रहा था , क्योंकि कल रात वो बहुत रोई थी । उसकी आंखें सूज चुकी थीं और हल्की-हल्की लाल भी नजर आ रही थीं ।

वह अपने सिर पर हाथ रखते हुए बुदबुदाई , “ अच्छा हुआ आज संडे है , न्यूज कवर करने के लिए थोड़ा वक्त मिल जाएगा , ” कहते हुए वह बेड से उठी , अपने कपड़े निकाले और सीधे बाथरूम की तरफ चली गई ।

करीब आधे घंटे बाद , वह तैयार होकर सिंपल जींस और टॉप में आईने के सामने खड़ी थी , तभी उसका मोबाइल बजने लगा । उसने देखा कि कोई अननोन नंबर से उसे कॉल कर रहा था ।

काशी ने कॉल उठाते हुए कुछ बोलने ही वाली थी कि एक आवाज उसके कानों में पड़ी , “ मैं सायली हूं , तुम्हारे घर का एड्रेस दो , मैं अभी तुम्हें लेने आती हूं । ”

सायली की बात सुनकर काशी झट से बोली , “ नहीं , तुम्हें आने की जरूरत नहीं है । तुम कहां हो ? मैं वहीं आ जाती हूं । ”

सायली ने नर्मी से जवाब देते हुए कहा , “ मैं NG रोड के पास जो नया मॉल बना है , वहीं पर हूं । ”

काशी ने सिर्फ “ ओके ” कहते हुए कॉल काट दिया और जल्दी से मेंशन से निकल गई । करीब 15 मिनट में ही काशी सायली के बताए हुए एड्रेस पर पहुंच चुकी थी । वह कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी , जिस वजह से उसकी नजरें इधर-उधर घूम रही थीं । अचानक वह किसी से टकरा गई ।

अपना ध्यान सामने न होने की वजह से , और किसी से टकरा जाने के कारण , उसकी फ्रस्ट्रेशन और ज्यादा बढ़ गई और उसने गुस्से में उसने कहा , “ अंधे हो क्या ? सामने देखकर नहीं चल सकते ? ” कहते हुए जैसे ही उसने अपनी नजर उठाकर सामने वाले शख्स को देखा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया ।

दिल्ली , सुबह का वक्त ।

सायली ने नर्मी से जवाब देते हुए कहा , “ मैं NG रोड के पास जो नया मॉल बना है , वहीं पर हूं । ”

काशी ने सिर्फ “ ओके ” कहते हुए कॉल काट दिया और जल्दी से मेंशन से निकल गई । करीब 15 मिनट में ही काशी सायली के बताए हुए एड्रेस पर पहुंच चुकी थी । वह कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी , जिस वजह से उसकी नजरें इधर-उधर घूम रही थीं । अचानक वह किसी से टकरा गई ।

अपना ध्यान सामने न होने की वजह से , और किसी से टकरा जाने के कारण , उसकी फ्रस्ट्रेशन और ज्यादा बढ़ गई और उसने गुस्से में उसने कहा , “ अंधे हो क्या ? सामने देखकर नहीं चल सकते ? ” कहते हुए जैसे ही उसने अपनी नजर उठाकर सामने वाले शख्स को देखा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया ।

To Be Continued...

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